संघ लोक सेवा आयोग
संघ लोक सेवा आयोग, भारत के केंद्रीय अभिकरण (संस्था) है। यह एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय या संस्था है। वर्ष – 1926 मैं ली कमीशन (Lee Commission) की अनुशंसा पर संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई थी। भारत सरकार अधिनियम 1935 के अंतर्गत संघ लोक सेवा आयोग (federal public service commission) का गठन किया गया था। संविधान के 14वें भाग में अनुच्छेद 315 से 323 तक में संघ लोक सेवा आयोग की स्वतंत्रता व शक्तियां वकार के अलावा इसके संगठन तथा सदस्यों की नियुक्तियां व बर्खास्तगी आदि का विस्तार में वर्णन किया गया है।
आयोग की संरचना
संविधान के अनुसार, संघ लोक सेवा आयोग का एक अध्यक्ष व अन्य सदस्य होंगे। जिस का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाएगा। संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की योग्यताओं का उल्लेख संविधान में नहीं किया गया है, परंतु क्या आवश्यक है कि, संघ लोक सेवा आयोग के आदेश सदस्य वही होंगे, जिन्हें कि संघ लोक सेवा के आधे सदस्य वही होंगे, जिन्हें कि संघ सरकार या राज्य सरकार के अधीन 10 वर्ष के कार्य का अनुभव प्राप्त हो। अध्यक्ष एवं सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष अथवा अधिकतम 65 वर्ष की आयु तक होता है। अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा होती है। अध्यक्ष व कदाचार के आधार पर सदस्यों को हटाने से पूर्व राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय से जांच करवाता है तथा जांच रिपोर्ट की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा हटाया जाता है।
राष्ट्रपति दो परिस्थितियों में संघ लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है,
१-जब अध्यक्ष का पद रिक्त हो, या
२-जब अध्यक्ष अपना काम अनुपस्थिति या अन्य दूसरे कारणों से नहीं कर पा रहा है।
निष्कासन
राष्ट्रपति संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष दूसरे सदस्यों को निम्नलिखित परिस्थितियों में हटा सकता है, १-अगर उसे दिवालिया घोषित कर दिया जाता है, या
२-अपनी पद्मावत के दौरान अपने पद के तत्वों के बाहर किसी से वेतन नियोजन में लगा हो,या
३-अगर राष्ट्रपति ऐसा समझता है कि वह मानसिक या शारीरिक अक्षमता के कारण पद पर बने रहने के योग्य नहीं है
इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति आयोग के अध्यक्ष या दूसरे सदस्यों को उनके कदाचार के कारण भी हटा सकता है। मगर राष्ट्रपति के उच्चतम न्यायालय के जांच के बाद ही बर्खास्त कर सकता है। उच्चतम न्यायालय द्वारा की जाने वाली जांच के दौरान राष्ट्रपति, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व दूसरे सदस्यों को निलंबित कर सकता है।
आयोग के कार्य
१-जब विभिन्न केंद्रीय सेवाओं हेतु भर्ती की एक एजेंसी है, जीएक्स संघ लोक सेवा आयोग द्वारा प्रतियोगिता परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है।
२-अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सेवाओं व केंद्र शासित क्षेत्रों की लोक सेवाओं में नियुक्त के लिए परीक्षाओं का आयोजन करता है।
३-या किसी राज्यपाल के अनुरोध पर राष्ट्रपति की स्वीकृति के उपरांत सभी यकीनी मामलों पर राज्यों को सलाह प्रदान करता है।
४-जब दो या दो से अधिक राज्य अपने लिए संयुक्त राज्य लोक सेवा आयोग के गठन का अनुरोध करें, तो ऐसी स्थिति में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है।
सलाहकारी कारी कार्य
संघ लोक सेवा आयोग, संग सरकार की सहकारी संस्था भी है। सिविल सेवकों के ऊपर कार्यवाही हेतु संघ लोक सेवा आयोग से परामर्श लिया जाता है ,परंतु परामर्श बात कारी नहीं होता है
संघ लोक सेवा आयोग के परामर्श को न मानने पर सरकार द्वारा संसद में उसका लिखित कारण बताना आवश्यक है।
केंद्रीय सेवकों व अखिल भारतीय सेवकों की पुण्यतिथि के संदर्भ में भी लोक सेवा आयोग से परामर्श लिया जाता है तथा अखिल भारतीय सेवकों को प्रतिनियुक्ति व उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही के संबंध में भी संघ लोक सेवा आयोग द्वारा परामर्श लिया जाता है
आयोग की शक्तियां
संघ लोक सेवा आयोग सिविल न्यायालय की शक्तियां धारण करता है तथा किसी भी विभाग की रिपोर्ट मांग सकता है।
आयोग की स्वतंत्रता एवं स्वायत्तता
संविधान में संघ लोक सेवा आयोग को निष्पक्ष व स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए निम्नलिखित उपबंध किए गए हैं
१-संघ लोक सेवा आयोग (upsc) के अच्छे-अच्छे सदस्य को राष्ट्रपति संविधान में वर्णित आधारों पर हटा सकते हैं इसलिए इन्हें पद्मावत की सुरक्षा प्राप्त है।
२-हालांकि अध्यक्ष सदस्य को वेतन भक्ति व पेंशन सहित सभी खर्चे भारत की संसद नीत से प्राप्त होते हैं, इन पर संसद में मतदान नहीं होता है।
३-संघ लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या सदस्य कार्यकाल के बाद पुनः नियुक्ति नहीं किया जा सकता(दूसरे कार्यकाल के लिए योग्य नहीं)