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Bhagwat geeta in hindi book pdf-संपूर्ण श्रीमद् भागवत गीता

Bhagwat geeta in hindi pdf-भगवत गीता हिंदू धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ है इस ग्रंथ को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र ग्रंथ माना जाता है भगवान श्री कृष्ण के कुरुक्षेत्र में युद्ध के दौरान अर्जुन को जो गीता का संदेश सुनाया था वही भागवत गीता के रूप में जाना गया या गीता ज्ञान के नाम से जानते हैं महाभारत में भीष्म पर्व के अंतर्गत दिया गया एक उपनिषद है श्रीमद् भागवत गीता भक्ति योग कर्म योग एकेश्वरवाद ज्ञान योग का अति सुंदर वर्णन करता है और इस श्रीमद् भागवत गीता में इन सभी का अति सुंदर रूप से वर्णन किया गया है

महाभारत को श्रीमद् भागवत गीता का पृष्ठभूमि माना जाता है जिस प्रकार से एक जन सामान्य मानव अपने जीवन की समस्या से उलझ कर अपने कर्तव्य से अलग हो जाता है और अपने जीवन की समस्याओं से लड़ने के बजाय उसे भगाने की कोशिश करने लगता है इस प्रकार महाभारत में महानायक अर्जुन ने आने वाले अपने समस्याओं से भयभीत होकर युद्ध न करने का निर्णय लेता है और उसे समस्या से भयभीत होकर जीवन और छतरियां धर्म से निराश हो गए थे अर्जुन की हम कभी-कभी अपने जीवन की समस्या से भयभीत होकर विचलित हो जाते हैं और समस्याओं के लड़ने की बजाय उनसे बचने की कोशिश करने लगते हैं इसीलिए भगवान श्री कृष्ण ने इन सभी जन समस्याओं को हित में रखते हुए हित में करने के लिए महा ज्ञान को श्रीमद् भागवत गीता के रूप में प्रस्तुत किया गया है जिसमें हर मनुष्य को ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है तो वह भागवत गीता में वैसी सारी समस्या का समाधान बताया गया है जो मनुष्य के जीवन में आता है

हम महाभारत के अध्यायों को श्लोक को संस्कृत के हिंदी अनुवाद करके प्रस्तुत करेंगे जिसको समझने में आपको काफी आसानी होगी श्रीमद् भागवत गीता हिंदू धर्म का सर्वोत्तम पवित्र ग्रंथ है गीता के अध्ययन से पूर्व हम जान लेते हैं कि इसके बारे में हमारे महापुरुषों का क्या-क्या विचार है और महाभारत के भागवत गीता के बारे में क्या सोचते हैं

Bhagwat geeta in hindi pdf Details

  • Name of pdf -Bhagwat geeta in hindi pdf
  • Total Number of Pages -1305
  • PDF SIze -8.50MB
  • Language-Hindi
  • Cotegory -Spirituality
  • Source -Available
  • Format -PDF

भगवान श्री कृष्ण के अनुसार

श्रीमद् भागवत गीता मेरे हृदय हैं गीता मेरा उत्तम सर है गीता मेरा आती उग्र ज्ञान है गीता मेरा अविनाशी ज्ञान है गीता मेरा श्रेष्ठ निवास स्थान है गीता मर्म परम पद है और परम रहस्य क्या मेरा परम गुरु है

श्रीमद् शंकराचार्य के अनुसार

ज्ञान योग्य श्रीमद् भागवत गीता का ज्ञान है और धरने योग्य तो भगवान विष्णु का ध्यान है चित्र सज्जनों के संग पीराने योग्य है वित्त तो दीन दुखियों को देने योग्य है

स्वामी विवेकानंद के अनुसार

श्रीमद् भागवत गीता उपनिषद रूपी बगीचों में चुने हुए आध्यात्मिक सत्य रूपी पुष्प से गुथ हुआ फूल का गुच्छा है

महर्षि व्यास के अनुसार

भगवत गीता श्री कृष्णा के मुख कमल से निकली हुई गीता की अच्छी तरह से कंठस्थ करना चाहिए और इसका विस्तार से क्या लाभ होगा उसे रजिस्ट्री को भी पता है

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श्रीमद् भागवत गीता श्लोक इन हिंदी | Bhagwat geeta in hindi pdf

Bhagvat geeta in hindi : आज की संध्या में आप सभी के लिए श्रीमद् भागवत गीता के प्रसिद्ध श्लोक का भावार्थ सहित प्रकाशित कर रहे हैं हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्री भागवत गीता के रचयिता महर्षि वेदव्यास है और महाभारत में कौरवों और पांडव के बीच जब युद्ध शुरू होने के दौरान श्री कृष्ण से ने जो अर्जुन को ज्ञान दिया वही श्रीमद् भागवत गीता के उपदेश के रूप में दिया गया है आज हम गीता के उन महत्वपूर्ण श्लोक को साझा करेंगे जिससे आपकी समझने में आसानी हो सके

Bhagvat geeta original book in hindi pdf

भगवत गीता के महत्वपूर्ण श्लोक आप लोगों के साथ शेयर करेंगे इसका अर्थ हिंदी में होगा एक महत्वपूर्ण श्लोक किया है कि श्री कृष्ण कहते हैं कि

नि संदेह कोई भी मानव किसी भी कल में क्षण भर के लिए भी बिना कर्म किए नहीं रह सकता क्योंकि सारा जन समुदाय को प्रकृति जनित गुणों द्वारा परतंत्र हुआ कर्म करने के लिए उससे बात किया जाता है 

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जो बुद्धि हैं मानव समस्त इंद्रियों को हाथ पूर्वक ऊपर से रोककर मन से उन इंद्रियों के विषयों का चिंतन करता है वह मिथ्याचारी कहलाता है

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कोई भी करें करीब परिश्रम के बिना पूरा नहीं किया जा सकता सिर्फ सोचने मात्र से कार्य पूरे नहीं होते हैं उसके लिए परिश्रम करना पड़ता है कभी-कभी सोते हुए शेर के मुख में हिरण स्वयं नहीं आता उसे शिकार के लिए निकलना पड़ता है और शिकार करना पड़ता है

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पराया धन, पराया दान, प्राय स्त्री ,पराया अन्न और दूसरे लोगों की निंदा इसकी इच्छा मानव को कभी नहीं करना चाहिए उसे विनाश का कारण बनता है

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सभी कीमती चीजों में सबसे कीमती रत्न उनके जीवन होता है जिसका एक पल भी गुजर जाए तो उसे वापस नहीं लाया जा सकता इसलिए इसे फालतू के कामों में खर्च करना बहुत बड़ी गलती होती है

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एक-एक छन गवाए बिन विद्या ग्रहण करना चाहिए और एक-एक कर बच्चा करके धन इकट्ठा करनी चाहिए क्योंकि क्षण ग्वाय वाले व्यक्ति को विद्या कहा और कन को शुद्र समझने वाले को धन कहा

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इस दुनिया में सभी दनों में विद्यादान गोदान भूमि दान और कन्यादान को सबसे ऊपर माना गया है

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विद्या रूपी धन कोई भी चुरा नहीं सकता राजा छीन नहीं सकता भाइयों में उसका बंटवारा नहीं किया जा सकता उसका भर नहीं लगता और विद्या बांटने से बढ़ती है सच में विद्यार्थी धन सबसे श्रेष्ठ धन है

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जो मन और अपमान में सम गुण है मित्र और वेरी के पक्ष में भी सगन है एवं संपूर्ण आरंभ में कर्तापन के अभियान से रहित है वह मनुष्य श्रेष्ठ माना जाता है

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कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा इसलिए जो भी कार्य करना है वह आज ही कर लेना चाहिए यही बुद्धिमान इंसान की निशानी है

श्रीमद् भागवत गीता का अध्याय Bhagwat geeta in hindi pdf

यहां पर हमने भागवत गीता महाकाव्य के सर और अर्थ को सरल रूप में समझने की कोशिश किया है

अध्याय 1 में अर्जुन के विषाद योग

अध्याय प्रथम में श्री कृष्ण जी ने 47 श्लोक द्वारा अर्जुन की मां की स्थिति को वर्णन किया है की किस तरह से अर्जुन अपने सगे संबंधियों को देखकर उस युद्ध करना नहीं चाहते हैं और साकेत संबंधियों को बचाने की कोशिश करते हैं और चाहते हैं कि किसी भी तरह उनको और कौरवों के बीच संधि हो जाए लेकिन श्री कृष्णा उन्हें समझाते हुए उन्हें यह कर्म भूमि है उसके बारे में बताते हैं और मानव का असली घर तो परमधाम है यह संसार तो मनुष्य के लिए क्षण भर का खेल है उसके बाद अपने यहीं छूट जाने हैं लेकिन जो धर्म के अनुसार कर्म करता है वह कम उसे मानव के साथ जाता है किंतु श्री कृष्ण कहते हैं कि क्षत्रिय धर्म युद्ध है अपने लिए सुख मानना चुप कर बैठ जाना या छतरियां धर्म नहीं है

अध्याय 2 में सांख्य योग

श्रीमद् भागवत गीता के अध्याय 2 में कल 72 श्लोक दिए गए हैं जिसमें अर्जुन श्री कृष्ण से कहते हैं अपने मां के भावों को व्यक्त करते हुए कहते हैं कि मैं अपने बहन को अपने सगे संबंधी पर कैसे चल सकता हूं जो मेरे लिए पूजनीय है अंत में लोग क्या कहेंगे कि राज पाठ की लालच में आकर मैं अपनों को युद्ध कर आघात पहुंचा है फिर श्री कृष्ण अर्जुन को बुद्धि योग ज्ञान योग कर्म योग और आत्मा का ज्ञान देते हुए कहते हैं कि आखिर आत्मा का कौन मार सकता मार सकता है फिर शरीर तो नश्वर है और यहां मानव क्षण भर के साथी है इसीलिए तुम्हारा युद्ध करना ही आवश्यक है वास्तव में इस अध्याय में पूरी गीता का सारांश बताया गया है और इस अध्याय को भागवत गीता बहुत ही महत्वपूर्ण भाग माना जाता है जो भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इसकी प्रेरणादायक है

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