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UPSC Crack करने वाले कहानियां :
UPSC के नतीजा घोषित होते होते हैं ही सुर्खियों बटोरने वाले टॉपर के बीच कुछ ऐसे किरदार सामने आते हैं जिनमें चुनौतियां और मुश्किलों से लड़ते हुए अपने सपने को पूरा किया और मुकाम हासिल किया तो आज इस पोस्ट के माध्यम से कुछ राज्यों के कुछ किरदार की कहानी के बारे में बताएंगे जिससे आपको अपने तैयारी में मोटिवेशन मिल सके,
पहली कहानी निरंजन कुमार की है
निरंजन कुमार बिहार के नवादा जिले के पकरी बरामा बाजार में रहने वाले जिनका सिलेक्शन 2020 यूपीएससी में हुआ है उनकी रैंक 535th रही है हाला की कामयाबी इतनी आसानी से नहीं मिली इसके पीछे उनका लंबा संघर्ष रहा है, निरंजन कुमार के पिता खैनी बेचते थे गांव में ही उनकी छोटी सी दुकान थी इसके बल पर चार भाई-बहनों की पढ़ाई लिखाई का इंतजाम करना काफी मुश्किल था
लेकिन पिता ने हिम्मत नहीं हारी आर्थिक तंगी और अभावों के बीच में वे अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए दिन रात मेहनत करते रहे निरंजन भी शुरू से ही होना हार रहे हैं उनका सिलेक्शन नवोदय विद्यालय के लिए हो गया इससे उन्हें और उनके परिवार की कुछ हद तक सपोर्ट मिल गया यहां से दसवीं पढ़ाई करने के बाद आईआईटी की तैयारी के लिए वह पटना चले गए जैसे तैसे करके उनके पिता पैसा का इंतजाम किया लेकिन बाकी खर्चों के सामने उनकी दिक्कतें बढ़ती गई बाद में निरंजन ने पटना में ही बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया इससे उन्हें थोड़ी बहुत आमदनी होने लगी और उनका खुद का खर्च निकालने लगा पैसों की बचत के लिए निरंजन कोचिंग जाने के लिए भी गाड़ी में नहीं बैठते थे
वह कई किलोमीटर तक पैदल चलकर ही कोचिंग जाते थे उन्हें इस संघर्ष का काम भी मिला और पहले ही प्रयास में आईआईटी में सिलेक्शन हो गया इंजीनियरिंग पूरा करने के बाद कोल इंडिया में निरंजन की जॉब लगी कुछ वक्त के बाद उन्हें की शादी भी हो गई! लाइफ तो सेट हो गई लेकिन यूपीएससी का सपना अभी भी अधूरा रह गया था इसके बाद निरंजन ने नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी में जुट गए साल 2017 में उन्हें पहली बार में कामयाबी मिली और आईआरएस के लिए चयन हुआ हालांकि इससे वे संतुष्ट नहीं हुए और कोशिश जारी रखें आखिरकार इस बार उनकी मेहनत रंग लाई है!
दूसरी कहानी अल्ताफ मोहम्मद शेख की है
महाराष्ट्र के पुणे जिले के बारामती तालुका से रहने वाले अल्ताफ मोहम्मद शेख को इस बार यूपीएससी परीक्षा में 545 में स्थान मिला है अबे आईपीएस बनेंगे फिलहाल अभी वह बताओ इंटेलिजेंस ऑफिसर उस्मानाबाद में पोस्टेड है अल्ताफ का बचपन बहुत ही संघर्ष में बीता उनके घर की आर्थिक स्थिति काफी चिंताजनक थी यहां तक कि खुद को खर्च निकालने के लिए उन्हें कम उम्र से ही काम करना पड़ा था वह अपने स्कूल के आगे भाज्या बेचा करते थे और चाय बेचते थे जिनसे उनकी कुछ आमदनी हासिल होती थी उनसे उनका परिवार का खर्च चलता था साथ ही थोड़ा बहुत वक्त मिल जाने पर अल्ताफ अपना पढ़ाई करते थे अल्ताफ बचपन से ही पढ़ने में टैलेंटेड थे तमाम मुश्किल और चुनौतियों के साथ-साथ व नवोदय विद्यालय में उनका सिलेक्शन हो गया उसके बाद वह बाजिया बेचने से उनको छुटकारा मिल गया यहीं पर उनके मन में यूपीएससी का ख्वाब जाएगा यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने फूड टेक्नोलॉजी में बैचलर की डिग्री हासिल की इसके बाद यूपीएससी की तैयारी में जुट गए मुश्किल थी लेकिन उन्होंने पहली कोशिश में कामयाबी मिली लेकिन उनके मन के मुताबिक नहीं हासिल हुआ!