भारत छोड़ो आंदोलन में आजाद दास्ता की भूमिका
भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार की अग्रणी भूमिका रही है तेजी से फैलते आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया जिसका परिणाम हिंसा तोड़फोड़ की घटना के रूप में सामने आए इस आंदोलन के दशा एवं दिशा में जयप्रकाश नारायण द्वारा स्थापित आजाद दास्तां की भूमिका महत्वपूर्ण रही है!
भारत छोड़ो आंदोलन में प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी एवं सरकार की दमन आत्मक करवाई ने क्रांतिकारियों को गुप्त और छापामार प्रणाली अपनाने के लिए बाध्य कर दिया 9 नवंबर 1942 की रात जयप्रकाश नारायण अपने साथियों श्याम नंदन सिंह सूरज नारायण राम मनोहर लोहिया इत्यादि सहित हजारीबाग जेल से भाग निकले और जाकर नेपाल केक जंगल में छुप गए नेपाल में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आजाद दास्तां की स्थापना की गई इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम देना एवं छापामार युद्ध के लिए ट्रेनिंग देना था
राम मनोहर लोहिया इसके संचालन एवं प्रचार का काम संभाला बिहार के लिए सूरज नारायण के नेतृत्व में एक स्वतंत्र परिषद की स्थापना की गई प्रशिक्षण का कार्य सरदार नित्यानंद सिंह ने संभाला संगठन के सदस्यों को निम्नलिखित कार्यों को प्रशिक्षण दिया जाता था जो निम्नलिखित है
- संचार साधनों को नष्ट करना
- औद्योगिक प्रतिष्ठानों को छाती पहुंचाना
- बारूद के प्रयोग से मिलो कार्यालयों का विनाश करना
- सरकारी ऑफिस के फाइलों को जलाना इत्यादि
आजाद दासता के शाखाओं की स्थापना बिहार के भागलपुर एवं पूर्णिया में हुई थी इसके सदस्यों ने भागलपुर मुंगेर पूर्णिया इत्यादि अनेक जगह विध्वंसक कार्य किए जैसे फाइलों को जलाना गोला बारूद से रेल पटरी तथा संचार साधनों को नष्ट करना यह लोग गुप्त छापामार पद्धति का प्रयोग कर सरकार को परेशान करते थे सरकार को इस के दमन के लिए काफी मस्तक करनी पड़ती थी ब्रिटिश सरकार के दबाव में मई 1943 में नेपाल सरकार ने जयप्रकाश नारायण लोहिया इत्यादि को गिरफ्तार कर लिया धीरे-धीरे आंदोलन शिथिल पड़ गया नेपाल से भागकर कोलकाता जाने के क्रम में इसके नेता दिसंबर 1943 में गिरफ्तार कर लिया गया
अतः आजाद दास्तां ने काफी कम समय में भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण बिहार में भारत छोड़ो आंदोलन काफी सफल रहा आजाद दास्तां क्रांतिकारियों के प्रमुख प्रेरणा स्रोत रहा और औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध बिहार के प्रतिरोध की नई तस्वीर भी प्रस्तुत की जय प्रकाश नारायण जन नायक बन गए और आजादी के बाद भी उन्होंने जब कांग्रेस की तानाशाही के खिलाफ आंदोलन किया तो बिहार के साथ ही लगभग पूरे देश उनके साथ खड़े हो गए!
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