1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार का योगदान
कृष मिशन की असफलता ने गांधीजी के विचार मैं बहुत बड़ा परिवर्तन ला दिया जिसके कारण 1942 को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव लाया गया जिस पर गहन विचार विमर्श समर्थन एवं मतभेद के साथ 8 अगस्त 1942 को मुंबई के ग्वालियर टैंक मैदान में भारत छोड़ो आंदोलन के प्रस्ताव को पारित कर दिया गया गांधीजी ने जनता को करो या मरो का मूल मंत्र दिया एवं कहा हम देश के गुलामी की वीडियो में बंधे हुए हैं देखने को जिंदा नहीं रहेंगे
भारत छोड़ो आंदोलन का विस्तार
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत के अगले दिन ही 9 अगस्त 1942 को कांग्रेस के प्रमुख नेता को गिरफ्तार कर लिया गया बिहार में बहुत सारे नेता थे जिन को गिरफ्तार कर लिया गया बिहार के एक नेता डॉ राजेंद्र प्रसाद को गिरफ्तार करके पटना में ही नजरबंद करके रखा गया था सैकड़ों प्रमुख नेता को गिरफ्तार होने के कारण यह आंदोलन सामान्य जनता के हाथों में आ गई पूरे बिहार में विरोध प्रदर्शन एवं तोड़फोड़ की घटना हुई इस आंदोलन में छात्रों ने भी भाग लिया बहुत सारे छात्रों ने स्कूल कॉलेज चोर आंदोलन में भाग ले लिया बिहार के एक नेता बलदेव सहाय ने महाधिवक्ता पद से इस्तीफा देकर इस आंदोलन में भाग लिया 11 अगस्त 1942 को विद्यार्थी की एक जुलूस पटना सचिवालय भवन के सामने तिरंगा लहराने की कोशिश की जिसके कारण जिला अधिकारी ने आदेश देकर गोलियां चलवा दी जिसमें 7 मारे मारे गए
हजारीबाग जेल से जयप्रकाश नारायण श्याम नंदिनी श्री योगेंद्र शुक्ला सूरज नारायण आदि ने भाग निकले और नेपाल में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आजाद दास्तां नमक एक क्रांतिकारी संगठन बनाया गया जिसका उद्देश्य सरकारों के युद्ध कार्य में बाधा डालना और तोड़फोड़ करना था देशभक्ति युवाओं को सरदार नित्यानंद ने प्रशिक्षण दिया जाता था यह क्रांतिकारी छापामार पद्धति से ब्रिटिश सरकार से लड़ रहे थे आजाद दास्तां से प्रेरित होकर बिहार में भागलपुर पूर्णिया में भी ऐसे संगठन सक्रिय हो गए 1943 तक आजाद दास्तां सक्रिय रहा
भारत छोड़ो आंदोलन का बिहार में स्वरूप
बिहार में भारत छोड़ो आंदोलन का स्वरूप बिहार में केंद्रीय नेतृत्व का अभाव रहा भारत छोड़ो आंदोलन एक हिंसात्मक आंदोलन था भारत छोड़ो आंदोलन में सरकारी संपत्ति को नष्ट किया गया
भारत छोड़ो आंदोलन की प्रमुख घटनाएं
- 8 अगस्त 1942 को मुंबई में आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया गया
- प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी
- राजेंद्र प्रसाद को भी गिरफ्तारी कर पटना में रखा गया
- 11 अगस्त 1942 को विद्यार्थी की जुलूस द्वारा विधायिका भवन पर झंडा फहराने की कोशिश में 7 विद्यार्थी को मौत
- जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में आजाद दास्तां का गठन
- कई स्थानों पर क्रांतिकारी सरकार गठित हुआ
भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार के योगदान का मूल्यांकन करें,
bharat chhodo andolan mein bihar ki bhumika,
bharat chhodo andolan me bihar ki bhumika,